त्रिलोचन |
वही त्रिलोचन है, वह – जिसके तन पर गन्दे
कपड़े हैं। कपड़े भी कैसे – फटे लटे हैं
यही भी फ़ैशन है, फ़ैशन से कटे कटे हैं।
कौन कह सकेगा इसका यह जीवन चन्दे
उठा हुआ सिर, चौड़ी छाती, लम्बी बाहें,
सधे कदम, तेज़ी, वे टेढ़ी मेढ़ी राहें
मानो डर से सिकुड़ रही हैं, किस का किस का
ध्यान इस समय खींच रहा है...
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